Maryada- A Poem
मर्यादा कुछ कुछ थोडा, ओर कुछ कुछ ज्यादा।।।
बड़ो से ज़ुबान न लड़ाना, अपने हुनर को दुनिया को ना दिखाना,
लोग बुरा जानेगे तुमको, अपनी ख्वाहिशों को दिल में ही जलाना।।।
मर्यादा कुछ कुछ थोडा, ओर कुछ कुछ ज्यादा।।।
जब शादी होगी तब जी लेना, कुछ वक़्त और घूंठ सबर का पी लेना,
यही दुनिया की रिवायत है, अब तुम्हे भी इसे है निभाना।।।
मर्यादा कुछ कुछ थोडा, ओर कुछ कुछ ज्यादा।।।
लड़के हो तो रोना नहीं, सपने लिए लड़कियों से तुम सोना नहीं,
तुम्हारे लिए सब दरवाज़े खुले है, तू मर्द हो मर्दानगी औरत पर दिखाना।।।
मर्यादा कुछ कुछ थोडा, ओर कुछ कुछ ज्यादा।।।
आदमी है तो नौकरी देख, दुनियेदारी में घुठने टेक,
सुना नहीं मुकमल् जहांन नहीं मिलता, तू भी हथेली जलते सपनों से सेक।।।
मर्यादा कुछ कुछ थोडा, ओर कुछ कुछ ज्यादा।।।
तू औरत है तो घर की लाज है, घर की इज़्ज़त तेरी मोहताज़ है,
कुछ भी हो गलती तेरी होगी, कल भी ओर यही तेरा आज है।।।
मर्यादा कुछ कुछ थोडा, ओर कुछ कुछ ज्यादा।।।
मर्यादा की गिरोंहे सी बंधी है, सब में मर्यादा यूँ तो बंटी है,
पर फर क्यों दुनिया खूंखार है जानवर से भी, किसकी नजरें इससे हटी है।।।
मर्यादा कुछ कुछ थोडा, ओर कुछ कुछ ज्यादा।।।
मर्यादा का ढोंग नहीं, अब इकरार चाहिए, खुद से खुद को प्यार चाहिए,
रिश्तों को मजबूत करो, मजबूर नहीं, दुनिया को इतना ही ऐतबार चाहिए।।।
मर्यादा कुछ कुछ थोडा, ओर कुछ कुछ ज्यादा।।।
शैलजा
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