WORLD FOOD DAY
वो प्यासी आँखे देखी है।।।
कोई रोटी को तरसता है, कोई प्यार की राह तकता है,
जिस भूख ने सबको बाँधा है, वो रोटी पकती देखी है।।।
एक बच्चा मरता देखा है,
वो प्यासी आँखे देखी है।।।
माँ बाबा का बिस्तर नम, कहि कूड़े से खाना चुनते है,
कुछ रुपयों के खातिर, हम ताना माना बुनते है।।।
एक बच्चा मरता देखा है,
वो प्यासी आँखे देखी है।।।
पेट हमारा भरता है, कोई भूखे पेट मरता है,
जाहिल सी इस दुनिया में, तू देख क्या क्या करता है।।।
एक बच्चा मरता देखा है,
वो प्यासी आँखे देखी है।।।
एक रोटी उसको देदे तू, जो दुआओं में याद करता है,
एक तेरे लालच से, ऐ इंसान, देख कौन कौन मरता है।।।
एक बच्चा मरता देखा है,
वो प्यासी आँखे देखी है।।।
जानवर भी जाने भूख तेरी, तेरे फेंकने का सबर करता है,
मिट्टी से भरी, काँच से भरी, वो बस एक निवाले का इंतज़ार करता है।।।
एक बच्चा मरता देखा है,
वो प्यासी आँखे देखी है।।।
कमाल लगता है की खाने की अहमियत बताने के लिए World
Food Day मनाना पड रहा है। घर में जब रोटी जादा बच जाये तो हम कुत्ते को
डाल देते है, पर जब कोई गरीब घर आए तो उससे डाँट के बाहर भेज देते है। कभी
रोटी की कदर उस इंसान से पूछना जिसने अपनी भूख मिटाने के लिए, कचरे से रोटी
खायी हो। मैंने देखा था एक बिखारी जिसने रोटी चींटियों से भरी खायी थी,
क्या भूख रही होगी उसकी। अगर आपके पास थोडा सा भी ज्यादा है पैसा, शौहरत है
तो उसे बाँटिये। देखना अच्छा लगेगा, खुद को भी और खुदा को भी।
अपनी
आत्मिक संतुष्टि पर काम कीजिये, भूख कोई भी हो कभी नहीं मिटेगी, ओर मिटेगी
है तो अगली बार ओर बढ़ कर लगती है। आज कल हर कोई भूखा ही है, कोई दौलत का,
कोई शौहरत का, कोई जिस्म का, कोई अहम् का। अपनी भूख को शांत करने के लिए
अपनी ख़ुशी को बाँटना सीखे। कभी भी सफ़र पर निकले या कहीं के लिए भी, अपने
पास कुछ खाने पिने का समान रखें, जब कोई मिले, जिसे जरूरत हो, उसे बांटते
चलिए।
जयादा कुछ नहीं जाता हमारे हाथ से, कभी भी, जो जाता है वो लौट कर इस कदर आता है, के हर मर्ज़ की भरपाई हो जाती है।।।
शैलजा

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